One of the Mahadevi Verma’s greatest creations:
पंथ होने दो अपरिचित,
प्राण रहने दो अकेला।
और होंगे चरण हारे,
अन्य हैं जो लौटते दे शूल को संकल्प सारे।
दुख्ख व्रती निर्माण उन्मद,
यह अमरता नापते पद,
बांध देंगे अंक संसृति की तिमिर मे स्वर्ण वेला।
पंथ होने दो अपरिचित,
प्राण रहने दो अकेला।
Somehow nowdays I feel like posting such inspiring works.