Was listening to Rare Gems of Jagjit Singh. And came across a gazal, which sounded exceptionally brilliant this time. Or may be I never heard the lyrics so attentively earlier. Anyways, this is the brilliant gazal:
इश्क़ फ़ना का नाम है
इश्क़ मे ज़िंदगी न दे
जलवा-ए-आफ़ताब बन
ज़र्रे मे रौशनी न दे
[जलवा-ए-आफ़ताब == sun’s brilliance] [ज़र्रे == tiny bit]
शौक को रहनुमा बना
जो हो चुका कभी न दे
[शौक == desire] [रहनुमा == guide/prophet]
आग दबी हुई निकाल
आग बुझी हुई न दे
तुझको खुदा का वासता
तू मेरी ज़िंदगी न दे
जिसकी सहर भी शाम हो
उसकी सिया शबीं न दे
[सहर == morning/dawn] [सिया == black/dark] [शबीं == night]
जलवा-ए-आफ़ताब बन
ज़र्रे मे रौशनी न दे
इश्क़ फ़ना का नाम है
इश्क़ मे ज़िंदगी न दे
Anyone knows the Shaaier?
Shaaier – Jigar Moradabadi
http://members.tripod.com/~ghazal/rare_gems.html